
“नागपुर से उठी आत्मनिर्भर भारत की पुकार, विजयदशमी पर गूंजा संघ का शंखनाद”
नागपुर, 2 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज विजयदशमी के पावन अवसर पर नागपुर के रेशिमबाग मैदान में अपना वार्षिक उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया। इस बार का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा क्योंकि संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। कार्यक्रम में देशभर से आए हजारों स्वयंसेवकों ने पारंपरिक ग़णवेश में भाग लिया और संघ की अनुशासित झांकी तथा अस्त्र-पूजन ने पूरे वातावरण को राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग दिया।
शस्त्र पूजन और विशेष अतिथि
विजयदशमी उत्सव की शुरुआत शस्त्र पूजन से हुई। परंपरागत अस्त्रों के साथ-साथ आधुनिक हथियारों की प्रतिकृतियाँ—जैसे पिनाका, ड्रोन और अन्य तकनीकी उपकरण भी प्रदर्शित किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद रहे। इस अवसर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत अनेक गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।
मोहन भागवत का संबोधन
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने विजयदशमी भाषण में कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। उन्होंने आगाह किया कि आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में किसी भी तरह की अत्यधिक निर्भरता अंततः मजबूरी में बदल सकती है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “निर्भरता को बंधन नहीं बनने देना चाहिए” और स्वदेशी उत्पादन को ही स्थायी समाधान बताया।
भागवत ने विविधता को भारत की ताकत बताया और कहा कि हमें भिन्नताओं को विभाजन का कारण नहीं, बल्कि एकता का सूत्र बनाना चाहिए। उन्होंने पड़ोसी देशों की अस्थिर स्थिति और हालिया आतंकवादी घटनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज की सजगता पर बल दिया।
राम नाथ कोविंद का संदेश

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि संघ में जातिवाद जैसी कोई भावना नहीं है। उन्होंने सामाजिक समरसता पर बल देते हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर समेत दलित समाज की महान विभूतियों का उल्लेख किया और कहा कि भारत की प्रगति तभी संभव है जब समाज में समानता और एकता को सर्वोच्च महत्व दिया जाए। मंच पर उनके साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पूर्ण गणवेश में उपस्थित थे।
नागपुर में उत्सव का माहौलनागपुर शहर इस अवसर पर एकता और संस्कृति के रंगों से सराबोर नजर आया। अलग-अलग राज्यों से आए स्वयंसेवकों ने पथ-संचलन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों को प्रभावित किया। शहर की सड़कों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही और हजारों की भीड़ शांतिपूर्ण ढंग से कार्यक्रम का हिस्सा बनी।
आरएसएस का यह विजयदशमी उत्सव न केवल संघ के 100 वर्षों की उपलब्धियों का प्रतीक रहा, बल्कि आने वाले समय के लिए आत्मनिर्भरता, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का संकल्प भी दोहराता है। नागपुर में हुआ यह आयोजन संघ की विचारधारा और संगठनात्मक शक्ति का सशक्त प्रदर्शन माना जा रहा है।