
Rajnath Singh said- In Pahalgam, terrorists asked about religion, we killed them after seeing their deeds

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक सशक्त संदेश में कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर नागरिकों को निशाना बनाया, जबकि भारत ने आतंकवादियों को उनके कर्मों के आधार पर जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमलों में आतंकवादियों ने जिस तरह धर्म पूछकर लोगों को निशाना बनाया, उसने पूरे देश को झकझोरा। वह हमला सिर्फ हमारे लोगों पर नहीं था, वह भारत की सामाजिक एकता पर किया गया हमला था। इसके ख़िलाफ़ भारत ने बड़ी और कड़ी कारवाई करते हुए पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अड्डों और उससे जुड़े अन्य इंफ्राट्रक्चर को तबाह कर दिया। यह आतंकवाद के ख़िलाफ़ की गई भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी कारवाई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि जब तक कश्मीर में धारा 370 थी, तब तक सभी यही कहते थे कि कश्मीर भारत में तो है, पर उसका भारत में पूरी तरह इंटीग्रेशन अधूरा है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जब 370 हटाया गया, तब कश्मीर ने भारत के साथ चलना शुरू किया। पिछले साल कश्मीर में 35 लाख से ज्यादा पर्यटक आए थे। ये कोई मामूली बात नहीं है। ये उस भरोसे का संकेत है, जो वहां के लोगों के मन में पहली बार जम्मू एवं कश्मीर की शांति व्यवस्था के लिए बना है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आंतकवादियों को तो भारतीय सेना ने जवाब दे दिया है, लेकिन इस प्रकार की घटनाएँ भविष्य में न हों यह बात भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक बेहद अहम मुद्दा है। इसलिए मैं समझता हूँ, कि अब सिर्फ सरकारों के स्तर पर नहीं, बल्कि जनता के स्तर पर भी, इस बढ़ रहे आतंकवाद के खिलाफ सतर्क होने का समय है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा ‘अभिशाप’ है। यह मानवीय सभ्यता के सबसे अहम मूल्यों का दुश्मन है। आतंकवाद हमारे शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और लोकतंत्र के लिए भी एक बड़ा खतरा है। कोई भी सभ्य देश इसे सहन नहीं कर सकता।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद एक विकृत मानसिकता है। यह मानवता पर कलंक है। प्रगति के मार्ग में बाधा है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सुरक्षा का सवाल नहीं है, यह मानवता के मूलभूत मूल्यों की रक्षा की लड़ाई है। यह उस बर्बर सोच के खिलाफ लड़ाई है, जो सभी मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इतिहास ने बार-बार साबित किया है, कि आतंकवाद का कोई भी लक्ष्य, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे हमेशा हिंसा और डर के बल पर पाने की कोशिश की जाती है और वह कभी सफल नहीं होती है।