
रिपोर्ट सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने तैयार की है
लखनऊ,स्टेट डेस्क। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज गुरूवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में संभल हिंसा की न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी। यह 450 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने तैयार किया है।
शाही जामा मस्जिद के पास हुई हिंसा की जांच
नवंबर 2024 में संभल की शाही जामा मस्जिद के पास हुई हिंसा की जांच से संबंधित है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे। रिपोर्ट में जनसांख्यिकीय बदलाव, दंगों की साजिश और हिंदू आबादी के पलायन जैसे गंभीर मुद्दों पर चौंकाने वाले खुलासे होने की बात कही जा रही है।
संभल हिंसा का पृष्ठभूमि :
संभल हिंसा का मामला 24 नवंबर 2024 को उस समय शुरू हुआ, जब शाही जामा मस्जिद के पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा अदालत के आदेश पर किए गए सर्वे के दौरान तनाव बढ़ गया। यह सर्वे एक याचिका के आधार पर शुरू हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी में एक हरिहर मंदिर को तोड़कर किया गया था।
पहला सर्वे 19 नवंबर 2024 को हुआ
19 नवंबर 2024 को पहला सर्वे हुआ, जिसके बाद 24 नवंबर को दूसरा सर्वे शुरू होने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। इस हिंसा में पथराव, आगजनी और कथित तौर पर गोलीबारी हुई, जिसमें चार लोगों की मौत और 29 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हुए।
28 नवंबर को तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का किया गठन
उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 नवंबर 2024 को इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया, जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) देवेंद्र कुमार अरोड़ा (इलाहाबाद हाईकोर्ट),अरविंद कुमार जैन (सेवानिवृत्त IPS अधिकारी और पूर्व DGP),अमित मोहन प्रसाद (सेवानिवृत्त IAS अधिकारी) शामिल किया था।
100 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए
आयोग ने 271 दिनों में संभल के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों, जैसे कोट गरवी और शाही जामा मस्जिद, का दौरा किया और 100 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए।
न्यायिक जांच रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष –
-28 अगस्त 2025 को आयोग ने अपनी 450 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी। हालांकि, यह रिपोर्ट अभी गोपनीय है और इसे सार्वजनिक करने से पहले कैबिनेट और विधानसभा में पेश किया जाएगा। विभिन्न समाचार स्रोतों और सूत्रों के आधार पर, रिपोर्ट के कुछ प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:जनसांख्यिकीय बदलाव:संभल नगर पालिका क्षेत्र में 1947 में हिंदू आबादी 45% थी, जो अब घटकर 15-20% रह गई है, जबकि मुस्लिम आबादी 55% से बढ़कर 85% हो गई है।
रिपोर्ट में इस बदलाव को “पलायन, तुष्टिकरण की राजनीति और सुनियोजित सांप्रदायिक हिंसा” का परिणाम बताया गया है।
कुछ सूत्रों के अनुसार, 1986 में नगर पालिका की सीमाओं के पुनर्निर्धारण ने भी जनसांख्यिकीय अनुपात को प्रभावित किया।
दंगों का इतिहास :1947 से 2019 के बीच संभल में 15 बड़े सांप्रदायिक दंगे हुए, जिनमें 213 लोगों की मौत हुई।
इन दंगों में हिंदुओं को “लक्षित” करने की साजिश का उल्लेख किया गया है, जिसे आयोग ने “सुनियोजित” बताया।
हिंसा की साजिश :रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 24 नवंबर 2024 की हिंसा एक “सुनियोजित साजिश” का हिस्सा थी, जिसमें कट्टरपंथी समूहों और बाहरी दंगाइयों की भूमिका थी। सर्वे की जानकारी लीक होने की बात सामने आई, जिसके कारण मस्जिद के पास भीड़ इकट्ठा हुई। हिंसा में विदेशी हथियारों (यूके, यूएसए, और जर्मनी निर्मित) का उपयोग होने का भी जिक्र है।
हरिहर मंदिर विवाद :आयोग ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद के नीचे हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक अवशेष होने के सबूत मिले हैं। इस दावे ने विवाद को और हवा दी, क्योंकि यह मस्जिद के निर्माण को लेकर बाबर के शासनकाल से जोड़ा गया।
आतंकवादी संगठनों की सक्रियता :संभल में अल कायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी और अवैध हथियारों व नशे के कारोबार का उल्लेख किया गया।
आज की कैबिनेट बैठक
, 4 सितंबर 2025 को होने वाली योगी कैबिनेट की बैठक में इस रिपोर्ट को पेश किया जाएगा। इस बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा होने की संभावना है:
रिपोर्ट का अध्ययन और कार्रवाई: कैबिनेट रिपोर्ट की सिफारिशों पर विचार करेगी और भविष्य की कार्रवाई तय करेगी।
सार्वजनिक करना : रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है। यह 30 मई 2025 के बाद विधानसभा में रखी जा सकती है।
कानूनी और प्रशासनिक कदम : हिंसा के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई, जनसांख्यिकीय बदलाव को रोकने के उपाय, और मस्जिद-मंदिर विवाद पर अगले कदम तय किए जा सकते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं –
रिपोर्ट के कुछ हिस्सों के मीडिया में लीक होने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री ने 29 अगस्त 2025 को प्रतापगढ़ में एक रैली में कहा कि संभल में हिंदुओं को “चुन-चुनकर निशाना बनाया गया” और “डबल इंजन सरकार डेमोग्राफी बदलने की साजिश को बर्दाश्त नहीं करेगी।” उन्होंने सपा और कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया।
उधर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे “भाजपा की विफलता” का प्रचार बताया और कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की रणनीति है। सपा प्रवक्ता अमीक जामेई ने इसे “मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने” की कोशिश करार दिया।
कांग्रेस ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की और चुनिंदा लीक को “मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की साजिश” बताया।
विश्व हिंदू परिषद ने लखनऊ में प्रदर्शन कर एक सांसद का पुतला जलाया और हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की। सिविल राइट्स संगठनों ने रिपोर्ट को “आधारहीन” और “ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाला” बताया।