
नई दिल्ली,28 जुलाई 2025 । बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रकिया को लेकर संसद सत्र के दूसरे हफ्ते में भी लगातार सत्तापक्ष व विपक्ष एक दूसरे के सामने खड़ा नजर आया। सोमवार को एसआईआर की छाया लोकसभा में सोमवार को शुरू हुई ऑपरेशन सिंदूर पर आयोजित चर्चा पर भी दिखाई दी, जब सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच चर्चा की सहमति बनने के बाद भी सदन सुबह बाधित होता नजर आया।
एक ओर जहां विपक्ष एसआईआर को लोकतंत्र पर हमला बता रहा है और संसद में इसके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने की बात कर रहा है, वहीं सरकार विपक्ष पर चर्चा से भागने और संसदीय मर्यादा तोड़ने का आरोप लगा रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह राजनीति का बड़ा मुद्दा बना रहेगा।
विपक्षी खेमे में चर्चा को लेकर दो फाड़
वहीं विपक्षी खेमे में चर्चा को लेकर कहीं न कहीं दोफाड़ नजर आ रहे थे। दरअसल, सुबह अगर तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक, अगर चर्चा शुरू नहीं हो पाई तो सत्ता पक्ष व विपक्ष इसके लिए एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए नजर आए।
सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर से पहले सरकार से बिहार में चल रही एसआईआर की प्रक्रिया पर चर्चा कराए जाने का आश्वासन चाहता था।विपक्ष के चर्चा से भागने के आरोप पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के माणिकम टैगोर का कहना था कि हम लोग पिछले 90 दिन से सरकार से पहलगाम व ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा मांग रहे हैं। हमने तो विशेष संसद सत्र की मांग तक की।
लेकिन सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर चर्चा से कोई भाग रहा है तो यह सरकार और पीएम मोदी हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सत्र शुरू होते ही पीएम पांच दिन के लिए विदेश चले गए। जब देश में इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा होनी है तो पीएम के लिए संसद से ज्यादा महत्वपूर्ण विदेश दौरा हो गया। आज वह लौट आए हैं, लेकिन आज भी वह सदन में नहीं आए।
विपक्ष में भी आपसी सहमति नहीं थी
गौरतलब है कि चर्चा के मुद्दे पर विपक्ष में भी आपसी सहमति नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, टीएमसी कांग्रेस से नाराज थी कि बिना एसआईआर के लिए आश्वासन लिए विपक्ष की ओर से चर्चा के लिए हामी क्यों भरी गई। टीएमसी का तर्क था कि एसआरआई का मुद्दा देश के लिए बहुत अहम है। हालांकि ऑपरेशन सिंदूर भी जरूरी है। विपक्ष का मानना है कि बिहार के बाद यह कवायद देश के दूसरे हिस्से भी चलेगी। टीएमसी को आशंका है कि बिहार के बाद अगर सबसे बड़े पैमाने पर यह चलेगा तो वह वेस्ट बंगाल होगा।
सोमवार को सदन का कामकाज शुरू होने से पहले जहां विपक्षी दलों की बैठक हुई, वहीं विपक्ष ने लगातार दूसरे हफ्ते भी एसआईआर को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संसद के ‘मकर द्वार’ के पास आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एसपी चीफ अखिलेश यादव और कई अन्य दलों के सांसद शामिल हुए। विपक्षी नेताओं ने एक बड़ा बैनर थाम रखा था, जिस पर लिखा था – ‘एसआईआर: लोकतंत्र पर हमला’। इस दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘संविधान बचाओ’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो ‘ जैसे नारे लगाए।
एसआईआर से कमजोर और वंचितों का अधिकार छीना जा रहा: विपक्ष
विपक्षी सांसदों का आरोप है कि एसआईआर के जरिए कमजोर और वंचित तबकों से मतदान का अधिकार छीना जा रहा है। उनका मानना है कि बिहार में जो प्रक्रिया चल रही है, उसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है, जो लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। विपक्ष का कहना है कि संसद में इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और सरकार को जवाब देना चाहिए। इंडिया गठबंधन ने साफ कर दिया है कि वे संसद में जनता के अधिकारों की आवाज उठाते रहेंगे और किसी भी साजिश को सफल नहीं होने देंगे।
विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि यह संघ व बीजेपी की सोच थोपने की कोशिश है, जिससे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों पर चोट की जा रही है। विपक्ष ने चेतावनी दी कि वे संसद और सड़क दोनों जगह इस मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे।