
PM मोदी बोले– ‘हर भारतीय क्रोधित है’
नई दिल्ली,6 अक्टूबर 2025 । भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई पर सोमवार (6 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक वकील द्वारा हमले की कोशिश की गई। यह घटना पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया का कारण बनी हुई है, क्योंकि यह न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा प्रहार मानी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्षी नेताओं तक ने इसकी कड़ी निंदा की है। CJI गवई ने इस घटना पर शांत रहते हुए कहा कि “ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।
घटना कब और कैसे हुई ?
सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 1 में CJI गवई की बेंच के सामने केसों की सुनवाई के दौरान यह हादसा हुआ। एक वकील, राकेश किशोर (उम्र लगभग 70 वर्ष), डेस (न्यायाधीशों की सीट) के पास पहुंचे और अपना जूता उतारकर CJI पर फेंकने की कोशिश की। जूता बेंच तक नहीं पहुंचा, लेकिन वकील ने नारे लगाए, “सनातन का अपमान नहीं सहेगें।” सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उन्हें बाहर निकाल लिया।
इस दौरान सीजेआई गवई बिल्कुल शांत रहे। उन्होंने कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा, “इससे विचलित न हों। हम विचलित नहीं हैं। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं। सुनवाई जारी रखें।” कोर्ट की कार्यवाही बिना रुकावट चली।
कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई पुलिस जांच:
दिल्ली पुलिस ने वकील राकेश किशोर को हिरासत में लेकर 3 घंटे पूछताछ की। सुप्रीम कोर्ट कार्यालय ने कोई शिकायत दर्ज न करने का फैसला लिया, इसलिए कोई केस दर्ज नहीं हुआ। जूता लौटा दिया गया और उन्हें रिहा कर दिया गया।
बार काउंसिल का सस्पेंशन : बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने तुरंत राकेश किशोर का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया। BCI ने कहा कि यह कोर्ट की गरिमा के विपरीत है। दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA), सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) और तमिलनाडु एडवोकेट्स एसोसिएशन ने भी इसकी निंदा की।
सुरक्षा समीक्षा : लंच ब्रेक के दौरान CJI ने सुप्रीम कोर्ट के सिक्योरिटी प्रमुख और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। CJI को Z+ सुरक्षा कवर मिला हुआ है।
प्रमुख नेताओं की प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : पीएम ने CJI से फोन पर बात की और सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “यह घृणित कृत्य है। हर भारतीय इससे आक्रोशित है। जस्टिस गवई की शांति उनकी न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
राहुल गांधी और सोनिया गांधी: कांग्रेस ने इसे “संविधान पर हमला” बताया। राहुल ने कहा, “यह न्यायपालिका की गरिमा पर आघात है।” सोनिया ने इसे “अभद्र और अस्वीकार्य” कहा।
मल्लिकार्जुन खड़गे: कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे “अभूतपूर्व और शर्मनाक” बताते हुए कहा कि यह सामाजिक बाधाओं को तोड़कर ऊपर पहुंचे CJI का अपमान है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता : कोर्ट में कहा, “सोशल मीडिया पर अतिरंजित प्रतिक्रियाओं का परिणाम है। न्यूटन का नियम कहता है हर एक्शन का इक्वल रिएक्शन, लेकिन अब हर एक्शन का डिसप्रोपोर्शनेट सोशल मीडिया रिएक्शन।”
घटना को खजुराहो के मामले से जोड़ा जा रहा है
यह घटना को सितंबर 2025 में CJI गवई के एक टिप्पणी से जोड़ा जा रहा है। खजुराहो (मध्य प्रदेश) के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फुट की कटी हुई मूर्ति को बहाल करने की PIL को खारिज करते हुए CJI ने कहा था, “यह शुद्ध रूप से पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) है। देवता से खुद ही कुछ करने को कहो।” इस टिप्पणी को सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने हिंदू भावनाओं का अपमान बताया, जिससे विवाद फैला। CJI ने बाद में स्पष्ट किया कि उनका कोई अपमान का इरादा नहीं था।