October 7, 2025

राष्ट्र सेवा ही हमारा धर्म और संविधान ही सबसे बड़ा ग्रंथ- निम्बाराम

जयपुर, 30 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का श्री विजयादशमी उत्सव मंगलवार सायं राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 600 विद्यार्थी, मातृशक्ति, शिक्षक एवं स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के निर्धारित समय 5 बजे से तेज वर्षा शुरू हुई, जिसके कारण निर्धारित स्थान पर उपस्थित स्वयंसेवकों व विद्यार्थियों को लगभग एक घंटे तक वर्षा में भींगना पड़ा। कार्यक्रम पूर्ण उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, श्री गोपाल जी मीणा मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि संघ समाज में निर्भीकता, सदाचार, धर्मनिष्ठा और स्वदेश की भावना के साथ कार्य करता है। संघ की जीवनशैली और संगठनात्मक दृष्टि समाज के लिए प्रेरणास्पद है।

संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री निंबाराम जी ने अपने संबोधन में कहा कि – संघ का कार्य विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ता रहा है। डॉ. हेडगेवार ने उपहास और विरोध का सामना करते हुए भी संगठन की नींव रखी। एक हेडगेवार गए पर आज लाखों स्वयंसेवक तैयार खड़े हैं। संघ किसी का विरोधी नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन और सत्य-धर्म का कार्य करता है। राष्ट्र सेवा ही हमारा धर्म है और भारत माता ही हमारी आराध्य। हमारे लिए सबसे बड़ा ग्रंथ संविधान है।


1925 की विजयादशमी को प्रारंभ हुआ संघ आज अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अपने 100 वर्षों की यात्रा में संघ ने यह सिद्ध किया कि संघ का कार्य किसी व्यक्ति की जय-जयकार नहीं, बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज का हित है, यह सत्य और धर्म का कार्य है। संघ का अंतिम लक्ष्य है – भारत माता की जय और राष्ट्र का परम वैभव।

उन्होंने संघ के “पंच परिवर्तन” – सामाजिक समरसता, स्व का आग्रह, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक शिष्टाचार का उल्लेख करते हुए कहा कि यही समाज परिवर्तन का आगे का लक्ष्य लेकर संघ बढ़ रहा है।

कार्यक्रम की विशेषताएँ

  • संघ गीत प्रस्तुत किया गया: “आँधी क्या है मिले, चाहे कितना व्यवधान मिले, बढ़ना ही अपना काम है…”
  • वंदे मातरम् के उद्घोष से परिसर गुंजायमान हुआ।
  • वर्षा और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कार्यक्रम में उत्साह और गरिमा बनी रही।

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