
नई दिल्ली। सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष का समापन आज रविवार को हो गया। पूरे देश में श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे है ।सुबह सुबह गंगा घाटों से लेकर नदियों और सरोवरों तक सुबह से ही लोगों की भीड़ देखि जा रही है ।
गंगा घाटों पर उमड़ा जनसैलाब
वाराणसी, गया, प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर हजारों श्रद्धालु जुटे। गया में विष्णुपद मंदिर और फाल्गु नदी के घाटों पर देशभर से आए लोगों ने पिंडदान कर अपने पितरों को तृप्त किया। वाराणसी और हरिद्वार में गंगा स्नान व तर्पण के बाद विशेष पूजा-अर्चना की गई।
क्यों खास है सर्वपितृ अमावस्या?
हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के 15 दिनों में जिन पूर्वजों का श्राद्ध तिथि अनुसार नहीं हो पाता, उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है। इस दिन किए गए कर्मकांड से सभी पितरों को तृप्ति मिलती है और घर-परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है। इसे “महालय अमावस्या” भी कहा जाता है।
मंदिरों और घरों में भी विशेष पूजा
सिर्फ घाट ही नहीं, बल्कि घर-घर में भी लोगों ने अपने पितरों को याद कर भोग, हवन और ब्राह्मण भोजन का आयोजन किया। कई मंदिरों में विशेष हवन और पितृ शांति पाठ हुआ।
प्रशासन ने की विशेष व्यवस्थाएं
गया, वाराणसी और हरिद्वार जैसे तीर्थों पर भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की। पुलिस और स्वयंसेवक लगातार श्रद्धालुओं की मदद करते रहे।
जयपुर में घर-घर श्राद्ध और हवन
जयपुर के गलता तीर्थ और अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। स्थानीय पंडितों ने मंत्रोच्चारण कर तर्पण कराया। वैशाली नगर निवासी मीनाक्षी अग्रवाल ने बताया, “आज हमने घर पर हवन किया और ब्राह्मण भोजन करवाया। परिवार के सभी सदस्य पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए एकजुट हुए।