
पटना,स्टेट डेस्क। विपक्ष के राजनितिक विरोध का मुद्दा बना SIR बिहार में आज, 4 सितंबर से SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण ) के तहत मतदाता सूची के दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रियानिर्वाचन आयोग द्वारा शुरू की जा रही है। विपक्षी दलों इसको लेकर निर्वाचन आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है।
यह प्रक्रिया भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) द्वारा आयोजित की जा रही है
SIR क्या है ?
SIR यानी Special Intensive Revision (विशेष गहन पुनरीक्षण), भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू की गई एक विशेष प्रक्रिया है, जिसका मकसद मतदाता सूची को अपडेट करना और उसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी, जैसे मृतक मतदाताओं, दोहरे नाम, या गैर-पात्र व्यक्तियों के नाम हटाना है। बिहार में यह प्रक्रिया इसलिए शुरू की गई है क्योंकि लंबे समय से मतदाता सूची में मृतक मतदाताओं, प्रवासियों, और संदिग्ध नागरिकता वाले व्यक्तियों के नाम होने की शिकायतें थीं। SIR प्रक्रिया का उद्देश्यमतदाता सूची की शुद्धता: मृतक, स्थानांतरित, या दोहरे नाम वाले मतदाताओं को हटाकर सूची को सटीक करना।
नए मतदाताओं का पंजीकरण: 18 वर्ष से अधिक आयु के पात्र व्यक्तियों को मतदाता सूची में शामिल करना।
पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव: फर्जी वोटिंग और गड़बड़ियों को रोकना।
SIR प्रक्रिया के चरण : बिहार में SIR प्रक्रिया को तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है:गणना चरण (Enumeration Phase): यह चरण 25 जून 2025 से 26 जुलाई 2025 तक चला, जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने घर-घर जाकर मतदाताओं के दस्तावेज एकत्र किए। इस दौरान 99.86% मतदाताओं को कवर किया गया, और 5 करोड़ से अधिक गणना फॉर्म जमा हुए।
ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन:
1 अगस्त 2025 को 7.24 करोड़ मतदाताओं की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई। इस सूची में 16.56 लाख नए मतदाताओं का पंजीकरण हुआ, जबकि 2.17 लाख नाम हटाने के लिए आपत्तियां दर्ज की गईं।
दावे और आपत्तियां:
1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक मतदाता सूची में सुधार, नाम जोड़ने, या हटाने के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज करने का समय था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह प्रक्रिया 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है।
आज से शुरू होने वाला दस्तावेज सत्यापन चरण SIR का अंतिम और महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस चरण में:दस्तावेजों की जांच, सभी जमा किए गए गणना फॉर्म और दस्तावेजों (जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड आदि) की गहन जांच की जाएगी।
संदिग्ध नामों की जांच : लगभग 3 लाख मतदाताओं की नागरिकता संदिग्ध मानी जा रही है, जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों के नाम होने की आशंका है। इनकी जांच विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र में की जाएगी।
पैरा-लीगल वॉलंटियर्स की भूमिका : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण ने पैरा-लीगल वॉलंटियर्स नियुक्त किए हैं, जो मतदाताओं और राजनीतिक दलों की मदद करेंगे। ये वॉलंटियर्स नाम जोड़ने, हटाने, या सुधार की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे।
आधार कार्ड का उपयोग :
आधार कार्ड को केवल पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा, न कि नागरिकता या पते के प्रमाण के रूप में।
महत्वपूर्ण तारीखें –
दस्तावेज सत्यापन शुरू : 4 सितंबर 2025
अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन : 30 सितंबर 2025
चुनाव की संभावित तारीख:
अक्टूबर के अंत या नवंबर के मध्य तक, क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है।
विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रियाए
-SIR प्रक्रिया को लेकर बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है,विपक्ष दल राजद, कांग्रेस, और अन्य विपक्षी दल इस प्रक्रिया को गरीबों और अल्पसंख्यकों के वोटिंग अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। उनका दावा है कि 65 लाख नाम हटाए गए, जिससे कई पात्र मतदाताओं को नुकसान हो सकता है। राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया।
सत्तारूढ़ दल का समर्थन : बीजेपी और जेडीयू ने SIR को पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी बताया है। बीजेपी सांसद मनन कुमार मिश्रा ने इसे सुधारात्मक कदम करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट का रोक से इंकार –
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2025 को SIR को रोकने से इनकार किया, लेकिन आयोग को निर्देश दिए कि वह केवल एक-दो दस्तावेजों पर निर्भर न रहे और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए। कोर्ट ने 1 सितंबर के बाद भी दावे और आपत्तियां स्वीकार करने का आदेश दिया।
मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
नाम चेक करें : ड्राफ्ट मतदाता सूची में अपना नाम चेक करने के लिए https://voters.eci.gov.in पर जाएं। जिला, विधानसभा, और बूथ नंबर की जानकारी तैयार रखें।
दस्तावेज जमा करें : अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो Form 6 (नाम जोड़ने के लिए) या आपत्ति फॉर्म भरें। विशेष शिविर प्रखंड, अंचल, और शहरी निकाय कार्यालयों में आयोजित किए जा रहे हैं।
आवश्यक दस्तावेज : आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, या अन्य 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से कोई एक।
पावती रसीद : दावे या आपत्ति दर्ज करने के बाद पावती रसीद जरूर लें।
प्रक्रिया का प्रभाव बूथों की संख्या में वृद्धि: मतदान केंद्रों पर भीड़ कम करने के लिए बिहार में बूथों की संख्या 77,000 से बढ़ाकर 90,000 की गई है। प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1,500 से घटाकर 1,200 की गई है।
नए मतदाताओं का रिकॉर्ड: 16.56 लाख नए मतदाताओं का पंजीकरण लोकतंत्र को मजबूत कर रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर SIR: बिहार के बाद पूरे देश में SIR प्रक्रिया लागू की जाएगी, जिससे मतदाता सूचियों की विश्वसनीयता बढ़ेगी।