
नई दिल्ली /तियानजिन, चीन (1 सितंबर 2025) : शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान रविवार को चीन के तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में पीएम मोदी ने यूक्रेन-रूस संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। हम शांति के लिए हाल के सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे। संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने और स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता खोजना होगा। यह पूरी मानवता का आह्वान है।”
बैठक का विवरण-यह मुलाकात एससीओ शिखर सम्मेलन के समापन के अवसर पर हुई, जिसमें वैश्विक नेताओं ने आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने अपने उद्घाटन संबोधन में आतंकवाद और संप्रभुता के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिकी आधिपत्यवाद पर कड़ा रुख अपनाया।
बैठक के दौरान, राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अपनी मुलाकात का विवरण साझा किया। उन्होंने कहा कि मास्को का रुख स्पष्ट है कि यूक्रेन संकट किसी ‘आक्रमण’ के कारण नहीं, बल्कि कीव में पश्चिमी समर्थन से हुए तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ। पुतिन ने भारत और चीन को यूक्रेन संकट के समाधान में किए गए प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।

भारत का रुख-पीएम मोदी ने भारत के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति दृढ़ रुख को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत कूटनीति और संवाद के माध्यम से संघर्ष के समाधान का समर्थन करता है। यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें वह रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखते हुए युद्ध को समाप्त करने की वकालत करता रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्तावों पर मतदान से परहेज किया है, जिसे पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद उसकी निष्पक्षता के रूप में देखा जाता है।
हाल के प्रयास-हाल ही में, पीएम मोदी ने यूक्रेन और रूस दोनों के साथ सक्रिय कूटनीति की है। अगस्त 2024 में, उन्होंने यूक्रेन का दौरा किया और राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। इसके बाद, उन्होंने पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की और यूक्रेन दौरे के अपने अनुभव साझा किए।
पुतिन ने भी भारत की भूमिका की सराहना की है। उन्होंने हाल ही में पीएम मोदी को फोन करके जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की और भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग की प्रतिबद्धता जताई।
वैश्विक संदर्भयूक्रेन-रूस युद्ध, जो फरवरी 2014 में शुरू हुआ और 2022 में रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के साथ और गंभीर हो गया, ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को प्रभावित किया है। भारत ने इस दौरान रूस से तेल आयात बढ़ाया है, जिसे लेकर पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका ने आपत्ति जताई है। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिसे व्हाइट हाउस ने युद्ध समाप्त करने के प्रयासों से जोड़ा।
वहीं, पुतिन और ट्रम्प के बीच अलास्का में हुई बैठक में युद्धविराम पर सहमति नहीं बनी, लेकिन हंगरी के बुडापेस्ट में प्रस्तावित त्रिपक्षीय वार्ता (पुतिन, जेलेंस्की, और ट्रम्प के बीच) की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
भारत-रूस संबंधबैठक में दोनों नेताओं ने भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर भी चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच का रिश्ता आपसी भरोसे और सम्मान पर आधारित है।
पीएम मोदी का यह बयान और सक्रिय कूटनीति भारत की वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत की तटस्थ और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण की सराहना वैश्विक नेताओं द्वारा की जा रही है। दोनों नेता निकट संपर्क में रहने पर सहमत हुए, जिससे भविष्य में भी इस मुद्दे पर भारत की रचनात्मक भूमिका की उम्मीद की जा सकती है।