
नई दिल्ली,नेशनल ब्यूरो । भारत की तटीय अर्थव्यवस्था को नया आयाम देने के लिए तटीय नौवहन विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। यह विधेयक राज्यसभा में आज गुरुवार को पारित हुआ, जबकि लोकसभा में यह 3 अप्रैल 2025 को ही पास हुआ था। इस विधेयक का उद्देश्य देश के 11,098 किलोमीटर लंबे समुद्र तट की विशाल क्षमता का दोहन करते हुए 2030 तक तटीय कार्गो को 230 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचाना है।
यह विधेयक केंद्रीय पत्तन, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि यह केवल कानूनी सुधार नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और लॉजिस्टिक्स की दक्षता के लिए एक रणनीतिक कदम है। विधेयक मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 के पुराने नियमों की जगह लेगा और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कैबोटेज नियमों को आधुनिक बनाएगा। इसमें 6 अध्याय और 42 खंड शामिल हैं, जो तटीय नौवहन के लिए सरलीकृत लाइसेंसिंग प्रणाली, विदेशी जहाजों के लिए नियमन की रूपरेखा, और राष्ट्रीय तटीय व अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना बनाने का प्रावधान करते हैं।
इस विधेयक के तहत राष्ट्रीय तटीय नौवहन डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा, जो निवेशकों को सरकारी नीतियों, योजनाओं और डेटा की रीयल-टाइम जानकारी देगा। इससे पारदर्शिता और निवेशकों का विश्वास दोनों बढ़ेंगे। केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा, “यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम करना, स्थानीय रोजगार बढ़ाना और भारतीय शिपिंग ऑपरेटरों को सशक्त बनाना है।”
उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय पहले ही तीन महत्वपूर्ण समुद्री विधेयकों को पारित करा चुका है- मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025, समुद्र द्वारा माल ढुलाई विधेयक, 2025, और तटीय नौवहन अधिनियम, 2025। इन तीनों अधिनियमों से भारत को एक आधुनिक, दक्ष और आत्मनिर्भर समुद्री इकोसिस्टम मिल सकेगा।